New Poetry About Love and Life
Poetry About Love and Life hope you will like it.
Dear, say, today you are for me.
I do not fear the heat of the foam now,
I fear the time curse now,
Today you have done this to me
Dear, say, today you are for me.
The night my, night makeup, my,
Today from the whole world Oaks Marie,
You gave me right
Dear, say, today you are for me.
He forgot the shape of the sun,
He stirred out of the dried chuck,
Which is your most important source of drink
Dear, say, today you are for me.
Deadly life was your life,
I found daughter-in-law's headache,
I am rich now, not just say yes
Dear, say, today you are for me.
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब,
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब,
आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा,
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या,
वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही,
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी,
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
Dear, say, today you are for me.
I do not fear the heat of the foam now,
I fear the time curse now,
Today you have done this to me
Dear, say, today you are for me.
The night my, night makeup, my,
Today from the whole world Oaks Marie,
You gave me right
Dear, say, today you are for me.
He forgot the shape of the sun,
He stirred out of the dried chuck,
Which is your most important source of drink
Dear, say, today you are for me.
Deadly life was your life,
I found daughter-in-law's headache,
I am rich now, not just say yes
Dear, say, today you are for me.
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब,
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब,
आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा,
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या,
वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही,
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी,
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
New Poetry About Love and Life
Reviewed by somi
on
December 15, 2016
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